लेखनी कहानी -29-Dec-2022
औरत का जीवन... एक कसौटी
औरत एक अनमोल कृति खुदा की,
एक निर्मल बूँद काली घटा की।
कभी अंबर, कभी धरा सी लगती है
औरत कभी लक्ष्मी, कभी दुर्गा कहलाती है।।
समर्पण भाव दीप सा लगता है,
मन दर्पण में प्रेम बसा दिखता है।
खुद अंगारों में तपती है,
बालक को सुख में रखती है।।
एक पुंज रोशनी का है औरत,
प्रदीप्त घर आंगन करती औरत।
कभी सुता, कभी बहु किसी की
कभी हया तो कभी प्रतिष्ठा किसी की।।
हर कसौटी पर खरी उतरी है,
जीवन के हर रंग से गुजरी है।
औरत का जीवन एक कसौटी है,
परिवार है पर्वत तो वह चोटी है।।
क्यों न इसे फिर सम्मान मिला?
पुरुष प्रथम ,औरत को द्वितीय स्थान मिला।
यही जननी ,यही पालक है
फिर क्यों पिता ही संचालक है?
गौरवपूर्ण इतिहास रहा है,
औरत का योगदान महत्वपूर्ण रहा है।
बनी थी लक्ष्मीबाई संहार किया,
बात सम्मान पर आई तो वार किया।।
जीवन है नैया ,औरत है मैय्या
संकटमोचक इस नैया की खवैया।
यह जीवन कसौटी औरत का,
यही सत्य यही रुप इस मूरत का।।
न दुखाओ दिल ,न अपमान करो
प्रेम बसाओ दिल से सम्मान करो।
धरा हमारी जीवन का यही आधार,
बिना औरत लगती सृष्टि निराधार।।
श्वेता दूहन देशवाल मुरादाबाद उत्तर प्रदेश
Shashank मणि Yadava 'सनम'
25-Jun-2023 07:26 AM
औरत के जीवन का खूबसूरत और यथार्थ चित्रण
Reply
Swati chourasia
09-Jan-2023 12:40 PM
बहुत ही खूबसूरत रचना 👌👌
Reply
Renu
30-Dec-2022 07:58 AM
👍👍🌺
Reply